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Monday, 15th December 2025

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Thought for the day

The senses are higher than the body organs. The mind is higher than the senses. The intellect is higher than the mind and the soul is higher than the intellect.
Chapter 3 Verse 42 Bhagavat Gita

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Nitya KarmAs

1. abhivAdanam
2. आचमनम
3. प्राणायामम
4. सन्ध्यावन्दनम
5. समिदाधानम
6. ब्रह्म यज्ञम
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8. UPAKARMA
9. परिषॆचनम
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समिदाधानम

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“समिध” का अर्थ है ‘लकड़ी’ और “आधानम्” का अर्थ है ‘रखना’|

समिध नामक लकड़ियों को होमाग्नि अथवा अग्निशाला में मंत्र सहित डालने को समिदाधानम् कहते हैं।

समिध की टहनियाँ अधिमानतः “पलाश/धाक/ किंशुक/फ्लेम ऑफ द फॉरेस्ट” वृक्ष नहीं तो “अश्वत्था/पीपल” वृक की होनी चाहिए।

यह अग्नि देवता की प्रार्थना को ब्रह्मचारी प्रातः और संध्या काल के समय, संध्यावंदन क्रम के बाद करना चाहिए |

सूर्य (सूर्य देवता) और अग्नि (अग्नि देवता) दोनों एक ब्रह्मचारी के जीवन के अभिन्न भाग हैं |

विष्णु पुराण, ब्रह्मचारी वर्णन,अध्याय 3, पंक्ती 9मे ऋषि और्व समझाते हैं कि

उभॆ सन्ध्यॆ रविं भूप तथैवाग्निं समाहित: ।

उपतिष्ठॆत्तदा कुर्याद्गुरॊरप्यभिवादनम्॥

ubhE sandhyE raviM bhoopa tathaivaagniM samaahita: |

upatiShThEttadaa kuryaadgurOrapyabhivaaadanam||

 

एक ब्रह्मचारी को भक्ति के साथ दोनों संध्या कालों में सूर्य और अग्नि से प्रार्थना करना चाहिए और अपने गुरु का अभिवादन भी करना चाहिए।

वही ब्रह्महचारी समिदाधानम् कर सकते हैं जिन्होने उपनयनम् द्वारा यज्ञोपवीत का धारण किया हो |

“समिदाधानम्” सुबह और शाम को, संध्यावंदनम् के बाद किया जाना चाहिए।

उपनयन के समय बालक को गायत्री मंत्र सिखाया जाता है और उसे दो कर्तव्य दिये जाते हैं।

वे हैं त्रिकाल संध्योपासना और समिदाधान ।

बच्चे के प्रारम्भिक वर्षों की प्रगति में इन दोनों कर्मों का महत्वपूर्ण हिस्सा है |

सूर्य और अग्नि उसके मित्र देवताएं हैं जो उसे बुद्धि, समृद्धि, अच्छे संतान और शक्ति प्रदान करते हैं।

वह देवताएं उस बालक के रक्षक व साक्षी भी हैं |वे उसे बुराई तथा बुरी संगत से बचाते हैं।

सांध्यवंदनम् और समिदाधानम् ,श्रद्धा और ईमानदारी से किए जाने पर,बच्चे को प्रचुर मात्रा में ऊर्जा और मन की शुद्धता की प्राप्ती होती है।

अपने व्यक्तिगत प्रक्रिया पाने के लिए “मेरा समिदाधानम्” पर क्लिक करें.

कृपया पूर्ण विवरण के साथ अपनी प्रोफाइल को अद्यतन करें |

आवश्यक वस्तुएँ

  1. समिध(लगभग 17)
  2. होम कुण्ड
  3. थोड़ा घी
  4. सूखा गोबर (इन्दनम्)
  5. दियासलाई की डिबिया (अग्निपॆटिका)
  6. कपूर (कर्पूर )
  7. पानी (जलं)

 

बच्चा पैदा होता है, लेकिन ब्रह्मचारी आश्रम बहुत प्रयास से बनता है |  उसके परिणाम वैवाहिक जीवन (गृहस्थ आश्रम ) मे उसे प्राप्त होंगे |                                                   

 

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