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Friday, 6th June 2025

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Thought for the day

It isn’t the challenge that faces us that determines who we are and what we are becoming, but the way we meet the challenge.
Epilogue, “Nothing by Chance” – Richard Bach

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अभिवादन एक श्रद्धामय प्रणाम को कहते हैं जो छोटे बड़ों को अपने वंश का संक्षिप्त परिचय देकर करते हैं।

उपनयनम (संस्कार – 3) होने के बाद आप अभिवादन करना शुरू कर सकते हैं।

“अभिवादन” बड़ों/बुजुर्गों के प्रति अपने सम्मान और कृतज्ञता को दिखाने के लिए करना चाहिए। यह अपना परिचय देने और अपने परंपरा का याद दिलाने का एक सुंदर और विनम्र तरीका है। बड़ों वापस आपको उनका आशीर्वाद देंगे।=(प्रत्यभिवादन)

मनुस्मृति  कहती है :

“ऊर्ध्वम प्राणा ह्युतक्रामन्ती यून: स्थविर आयाति |

प्रत्युत्थान अभिवादाभ्यां पुनस तान प्रतिपद्यते ||”

जब बुजुर्ग हमारे तरफ आते हैं, तो हमारे प्राण हमारे शरीर को छोड़कर ऊपर उट जाता है, और जब हम उटकर उन्हें प्रणाम करते हैं,तो हम अपने प्राण को वापस पाते हैं।

जब भी आप कोई बुजुर्ग को मिलते हैं तब उनको प्रणाम करके अपना “अभिवादन” वाक्य बोलना चाहिए।

“अभिवादन”

  1. जब भी आप बड़ोंसे मिलते हैं आपको अपने आसन से तुरंत उठना चाहिए। (प्रत्युत्थानम)
  2. उन्हे साष्टांग नमस्कार करके उनके पाँव छूना चाहिए। (पादोपसंग्रह) (नमस्कार कितने बार करना चाहिए ये अपने बड़ों से पूछ लेना)। नमस्कार बड़ों के आगे करना चाहिए (अभि मुखा)। दक्षिण की ओर सामना नहीं करना चाहिए, पूर्व की ओर सामना करना सबसे अच्छा है.
  3. अपने हथेलियों से अपने कानों को बंद करना चाहिए। फिर थोड़ा झुककर अपना “अभिवादन”वाक्य कहें।

“प्रत्यभिवादन”

बुजुर्ग ध्यान से आपके अभिवादन को सुनकर आपके वंश को समझते हुये आपको सच्चे मन से आशीर्वाद देंगे जैसे “आयुष्मान भव”,”सुखी भव”,आदि।

  1. अभिवादन देवताओं , ब्रहमचरियों और सन्यासियों के लिए नहीं करना चाहिए।
  2. अभिवादन कोई एक के सामने ही करना चाहिए। कई लोग के सदस या बैठक में सबके के लिए एक साथ नहीं करना चाहिए।
  3. अभिवादन महिलाओं के सामने नहीं करना चाहिए।लेकिन अपनी माँ के सामने कर सकते हैं।
  4. अभिवादन अपने गुरु की पत्नी के लिए कर सकते हैं क्यों कि गुरुपत्नी माँ कीरूप है।
  5. अभिवादन मंदिर में नहीं किया जाता है।

निरंतर अभ्यास और अनुशासन से ही आदमी परिपक्वता पा सकता है। बुजुर्गों इस बात की गवाह हैं। वे बिना शर्त हमें प्यार और सलाह दे सकते हैं। उनके आशीर्वाद केवल शब्द नहीं हैं, लेकिन सुखदायक ऊर्जा की धारायेँ है जो हमारे मन को शांत करते हैं। कृपया समय लेकर बुजुर्गों के संग में वो अंतरंग आशीर्वाद को महसूस करें।

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